जलते रहें दीपक सदा काईम रहे ये रोशनी
दीपावली जलते रहें दीपक सदा काईम रहे ये रोशनी रजनी से गहरी निस्बतों में हो सुब्ह की ताजगी भोपाल का न्याय अब खद्दरें खामोश हैं,अब मरघटों सा मौन है गर कत्ल है इन्साफ का, तो लाश है भोपाल की नौकरशाही दफ्तर गया, चप्पल घिसे, अब तो कबीरा मान जा अफसर करे ना काम, ज्यूँ अजगर करे ना चाकरी अयोध्या निर्णय सेंकी सियासत ने सदा जिस आग पर है रोटियां सब मिल बुझा दें जो इसे, हो देश में दीपावली आर्थिक संकट,खेल और भारत तूफ़ान में अविचल रहा, दिल्ली में यह अव्वल रहा अब मेरे हिन्दुस्तान की तू देख पाखी बानगी प्रकाश पाखी