जलते रहें दीपक सदा काईम रहे ये रोशनी
दीपावली
जलते रहें दीपक सदा काईम रहे ये रोशनी
रजनी से गहरी निस्बतों में हो सुब्ह की ताजगी
भोपाल का न्याय
अब खद्दरें खामोश हैं,अब मरघटों सा मौन है
गर कत्ल है इन्साफ का, तो लाश है भोपाल की
नौकरशाही
दफ्तर गया, चप्पल घिसे, अब तो कबीरा मान जा
अफसर करे ना काम, ज्यूँ अजगर करे ना चाकरी
अयोध्या निर्णय
सेंकी सियासत ने सदा जिस आग पर है रोटियां
सब मिल बुझा दें जो इसे, हो देश में दीपावली
आर्थिक संकट,खेल और भारत
तूफ़ान में अविचल रहा, दिल्ली में यह अव्वल रहा
अब मेरे हिन्दुस्तान की तू देख पाखी बानगी
प्रकाश पाखी
सेंकी सियासत ने सदा जिस आग पर है रोटियां
जवाब देंहटाएंसब मिल बुझा दें जो इसे, हो देश में दीपावली
बहुत सुन्दर शेर है प्रकाश जी. पूरी गज़ल ही सुन्दर है.
सभी अशआर लाजवाब हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद आपको पढ़ा..बहुत अच्छा लगा..
शुक्रिया ..
जलते रहें दीपक सदा काईम रहे ये रोशनी
जवाब देंहटाएंरजनी से गहरी निस्बतों में हो सुब्ह की ताजगी
सुबीर संवाद पर दिए मिसरे पर खूबसूरत शे'र कहे हैं आपने ....
अब खद्दरें खामोश हैं,अब मरघटों सा मौन है
गर कत्ल है इन्साफ का, तो लाश है भोपाल की
बहुत खूब ....!!
तूफ़ान में अविचल रहा, दिल्ली में यह अव्वल रहा
अब मेरे हिन्दुस्तान की तू देख पाखी बानगी
क्या बात है .....
अब एसियाड में देखना ही है .....!!
खूबसूरत ग़ज़ल है, दो शेर तो वाकई बहुत अपील करते हैं. बधाइयां
जवाब देंहटाएंहमारे सामने दर पेश कुछ ज्वलंत मुद्दों पर बेहद उम्दा शेर कहे हैं आपने.सुबीर जी के ब्लॉग पर बहुत उत्साहजनक टिप्पणियाँ इस गज़ल के बारे में देखी. आनंद आ गया.गज़ल में हर शेर से पहले सन्दर्भ बताने का तरीका थोडा कम रुचा.इससे पढ़ने में रवानगी नहीं रह पाती.
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