आसमान पे मन सवार क्यूँ
इस कदर दिल बेकरार क्यूँ
तेरे जिक्र का इंतज़ार क्यूँ
तेरी आरजू बस न और कुछ
आसमान पे मन सवार क्यूँ
हंस के ना कहो तोड़ दो ये दिल
कत्ल हो मेरा बारबार क्यूँ
काँटों से भरी तेरी राह क्यूँ
ईश्क हो मेरा तारतार क्यूँ
गर है प्यार जो नेमते खुदा
घर में प्यार के ग़म हज़ार क्यों
तुम हो जानती मेरे मन में क्या
बेरुख़ी अब मेरे यार क्यूँ।
-प्रकाश पाखी
Incredibly beautiful lines.
जवाब देंहटाएं-Niksa dudore
thanks niksa
हटाएंबढ़िया है.
जवाब देंहटाएंइतने उम्दा लिखते हैं सरकार
तो ये आमद कभी कभार क्यूँ.
शुक्रिया भाई जान।बस सन्नाटा तोडना चाहता था।
हटाएंशुक्रिया भाई जान।बस सन्नाटा तोडना चाहता था।
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